सिंधिया की नाराजगी बढ़ने दी गई
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए जबरदस्त मेहनत की थी. लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया.
बहाना बनाया गया कि राज्य में कांग्रेस के पास मामूली बहुमत है ऐसे में कमलनाथ के मैनेजमेन्ट के बिना काम नहीं चलेगा.
सिंधिया खून का घूंट पीकर रह गए. सिंधिया ने प्रदेश अध्यक्ष बनने की मंशा जताई, तो उसे भी नकार दिया गया. एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को दरकिनार करते हुए कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष का पद भी अपने पास रखने में कामयाबी हासिल की.
सिंधिया ने राज्यसभा में जाने की इच्छा जाहिर की तो दिग्विजय सिंह सामने आ गए. जिन्होंने सीट पर पहली वरीयता के आधार पर दावा पेश कर दिया.
दिग्विजय सिंह ने ही पहले भी कमलनाथ के साथ लॉबिंग करके सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष पर नहीं आसीन होने दिया.